नोबल पुरस्कार विजेता सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग,पेनिसिलीन के खोजकर्ता की जीवनी आइये जाने

सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग (Sir Alexander Fleming) :- 

(1881 – 1955) पेनिसिलीन के उपचारात्मक औषध की खोज – लगभग 100 वर्ष पहले हमें यह तो पता था कि बैक्टीरिया द्वारा बहुत से रोग होते हैं, परन्तु यह कोई नहीं जनता था कि इन बैक्टीरिया को कैसे नष्ट करके इन रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है| प्लेग और हैजा जैसी बीमारियाँ बहुत ही खतरनाक थी और इनको नियंत्रित करना एक चुनौती थी| इस समय एक ब्रिटिश वैज्ञानिक अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने इस चुनौती को स्वीकार किया| फ्लेमिंग ने अपनी प्रयोगशाला में बैक्टीरिया पर प्रयोग करते समय यह पाया की कुछ फफूंद की वजह से बैक्टीरिया की वृद्धि रुक जाती है| इन फफूंद का नाम पेनिसिलिन (penicillin) था|

ये एक रासायनिक तत्व का स्रावण करते थे, जिसकी वजह से बैक्टीरिया में विकास नहीं होता था| फ्लेमिंग ने इस रासायनिक तत्व को निकाल लिया और इसे पेनिसिलिन (penicillin) कहा| परन्तु फ्लेमिंग द्वारा निकला गया पेनिसिलिन स्थाई (stable) नहीं था और इसे दवाओं के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता था| इस चुनौती को पूरा किया ऑस्ट्रेलिया के हावर्ड फ्लोरी (Howard Flory) और जर्मनी के अर्नस्ट चेन (Ernst Chain) ने, जिन्होंने पेनिसिलिन की स्थाई संरचना बनाने में सफलता प्राप्त की और इनके इस कम ने ही पेनिसिलिन के महत्त्व को पूरा किया| इन तीनो को एक साथ विभिन्न संक्रामक रोगों में पेनिसिलिन की खोज और उसके उपचारात्मक प्रभाव के लिए 1945 में चिकित्सा का नोबल पुरस्कार मिला। पेनिसिलीन अब तक ज्ञात सबसे उपयोगी दवाओं में से एक है|

जीवन में प्रमुख घटनायें एवं प्रमुख वैज्ञानिक योगदान(Major Events in Life & Major Scientific Contributions) :-


  • जन्म – 6 अगस्त 1881, लॅाकफील्ड, आयरशायर, स्कॉटलैंड
  • मृत्यु – 11 मार्च 1955, लंदन 
  • फ्लेमिंग ने शुरुआत में, लंदन में एक शिपिंग कंपनी में एक क्लर्क के रूप में काम किया|
  • 20 वर्ष की आयु में उन्हें लन्दन के सेंट मैरी अस्पताल के मेडिकल स्कूल से छात्रवृत्ति मिली|
  • 1915 में उन्होंने सराह मैक एलोरी से शादी की, परन्तु उनका 1949 में निधन हो गया|
  • 1944 में उन्हें नाईट की उपाधि मिली| 1953 में उन्होंने एक जीवाणुविज्ञानी (bacteriologist) एमालिया कोटसूरिस से शादी कर ली|
  • 1928 में उन्होंने लन्दन के सेंट मैरी अस्पताल के मेडिकल स्कूल में, एक फफूंद (fungus) पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) से एक जीवाणुनाशक दवा बनाई|
  • उन्होंने आँसू और लार में में पाए जाने वाले एक जीवाणुरोधी तत्व (antibacterial agent) लाइसोजाइम (Lysozyme) की खोज की|

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