वॉशिंगटन, एजेंसी भारतीय
मूल के एक अमेरिकी शोधकर्ता ने पहली बार अल्ट्रासोनिक ध्वनि तरंगों के
माध्यम से दिल, मस्तिष्क, मांसपेशियों और अन्य कोशिकाओं को सक्रिय करने की
नई तकनीक विकसित की है। इसमें मेडिकल सोनोग्राम की तरह ही ध्वनि तरंगों का
प्रयोग किया जाता है।
‘सोनोजेनेट्क्सि’
नामक यह तकनीक, कोशिकाओं को सक्रिय करने के लिए प्रयोग की जाने वाली रोशनी
आधारित तकनीक ओप्टोजेनेट्क्सि के समान है। लेकिन ओप्टोजेनेटिक्स तकनीक की
तुलना में इस नई तकनीक के ज्यादा लाभ हैं। कैलिफोर्निया में सैक
इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज में मॉलिक्युलर न्यूरोबायोलॉजी विभाग के
सह प्राध्यापक श्रीकांत चलसानी के मुताबिक, ‘‘ओप्टोजेनेटिक तकनीक हमारे
लिए लाभप्रद है, लेकिन यह नई तकनीक न्यूरॉन्स यानी मस्तिष्क की कोशिकाओं और
शरीर की अन्य कोशिकाओं पर अधिक कुशलतापूर्वक काम कर सकती है।’’
चलसानी
ने बताया, ‘‘प्रकाश की तुलना में कम आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगें, बिना
बिखरे शरीर में प्रवाहित हो सकती हैं।’’ चलसानी की प्रयोगशाला में
अनुसंधानकर्ता स्टुअर्ट इबसेन के मुताबिक, ‘‘यह तकनीक उन मामलों में खासतौर
पर लाभप्रद हो सकती है, जब अन्य हिस्सों को प्रभावित किए बिना मस्तिष्क के
भीतरी क्षेत्रों को उत्तेजित करना हो।’’ चलसानी ने कहा, ‘‘यह देखना जरूरी
है कि यह स्तनपायी जीवों के मस्तिष्क पर भी प्रभावी है या नहीं।’’ चलसानी
के समूह ने इस तकनीक को चूहों पर प्रयोग करना शुरू कर दिया है।
शोध
पत्रिका ‘नेचर कम्यूनिकेशंस’ में प्रकाशित शोधपत्र में चलसानी ने कहा,
‘‘जब हम मनुष्यों पर इस थेरेपी का इस्तेमाल करने में सफल होंगे, तब
ओप्टोजेनेटिक तकनीक की तुलना में बिना चीर-फाड़ वाली यह सोनोजेनेटिक तकनीक
बेहद फायदेमंद साबित होगी।’’