कहां गई ओ चिड़िया रानी
कहां गई ओ चिड़िया रानी,
चीं चीं की वो मधुर वाणी।
कहां गई ओ चिड़िया रानी।।
जिसको सुन सब जगते थे
जिसको सुन चहकते थे।
जिसको सुन चहकते थे।
कहां गया चीं चीं का शोर
कहां गया कहां गया वो सुंदर भोर।।
कहां गया कहां गया वो सुंदर भोर।।
कभी गोरैया कभी चिरईया
नाम तुम्हारा सुनते थे।
नाम तुम्हारा सुनते थे।
दिल्ली की थी शान तुम्ही से
दिल्ली की थी जान तुम्ही से।।
दिल्ली की थी जान तुम्ही से।।
चिं चिं का वो प्यारा शोर
रस देता था कानो में घोल।
रस देता था कानो में घोल।
नही है पाया कब से तुमको सुनते
चिं चिं जो भाया मन को।।
चिं चिं जो भाया मन को।।
कभी घर में घोसला बनाती
कभी कभी पंखे से टकराती।
कभी कभी पंखे से टकराती।
तिनका तिनका चुनती चिड़िया,
चिं चिं करती जाती चिड़िया।।
चिं चिं करती जाती चिड़िया।।
नही सुहाता शोर हमे अब,
जबसे नजर न आती चिड़िया।
जबसे नजर न आती चिड़िया।
कितनी छोटी सी प्यारी चिड़िया
सबसे ज्यादा चहचाती चिड़िया,
सबसे ज्यादा चहचाती चिड़िया,
दिन भर उछलती गाती चिड़िया।।
कहां गई ओ चिड़िया रानी,
चिं चिं की वो मधुर वाणी।
चिं चिं की वो मधुर वाणी।
कहां गई ओ चिड़िया रानी।।
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