सदा फुदकती, कभी न थकती,
गाती मीठी-मीठी बानी ।
गाती मीठी-मीठी बानी ।
कैसे खुश रहती हो इतना,
सच-सच कहना चिड़िया रानी।
सच-सच कहना चिड़िया रानी।
ताज़ा दाना, निर्मल पानी,
शुद्ध हवा औ' धूप सुहानी।
शुद्ध हवा औ' धूप सुहानी।
यही राज सारी खुशियों का,
बोली हंसकर चिड़िया रानी।
बोली हंसकर चिड़िया रानी।
खुले जगत् में जीना सीखो,
ताज़ा हो सब दानी-पानी।
ताज़ा हो सब दानी-पानी।
इतना कहकर, फुदक ज़रा-सा,
फुर्र हो गई चिड़िया रानी।
फुर्र हो गई चिड़िया रानी।
रचनाकार: डा रामनिवास मानव (Dr Ramniwas Manav)