चिड़िया रानी...चिड़िया रानी....कैसे खुश रहती हो इतना, सच-सच कहना चिड़िया रानी

सदा फुदकती, कभी न थकती,
गाती मीठी-मीठी बानी ।

कैसे खुश रहती हो इतना,
सच-सच कहना चिड़िया रानी।

ताज़ा दाना, निर्मल पानी,
शुद्ध हवा औ' धूप सुहानी।

यही राज सारी खुशियों का,
बोली हंसकर चिड़िया रानी।

खुले जगत् में जीना सीखो,
ताज़ा हो सब दानी-पानी।

इतना कहकर, फुदक ज़रा-सा,
फुर्र हो गई चिड़िया रानी।

रचनाकार: डा रामनिवास मानव (Dr Ramniwas Manav)

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