नन्ही बच्ची को उसके पापा से भावनात्मक रूप से जोडती हुई कविता "पप्पा जल्दी आ जाना" अवश्य पढ़ें |

सात समुन्दर पार से
 गुडियों के बाजार से

अच्छी सी गुडिया लाना
गुडिया चाहे ना लाना ,
पप्पा जल्दी आ जाना

तुम परदेस गए जब से,
 बस यह हाल हुवा तब से

दिल दीवाना लगता है,
 घर वीराना लगता है

झिलमिल चाँद सितारों ने,
 दरवाजो दीवारों ने

सबने पूछा है हम से,
 (कब जी छूटेगा ग़म से -2)
कब होगा उनका आना,
 पप्पा जल्दी आजाना

माँ भी लोरी नहीं गाती,
 हमको नींद नहीं आती

खेल खिलौने टूट गए, 
संगी साथी छूट गए

जीब हमारी खाली है, 
और बसी दीवाली है

हम सबको ना तड़पाओ
, (अपने घर वापस आओ -2)
और कभी फिर ना जाना,
 पप्पा जल्दी आ जाना

ख़त ना समझो तार है यह,
 कागज़ नहीं है प्यार है यह

दूरी और इतनी दूरी, 
ऐसी भी क्या मजबूरी

तुम कोई नादान नहीं,
 तुम इससे अनजान नहीं

इस जीवन के सपने हो,
 (एक तुम्ही तो अपने हो -2)
सारा जग है बेगाना, 
पप्पा जल्दी आजाना

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