लंदन, एजेंसिया शुरुआती वर्षों में बच्चा गेंद को पकड़ने या फेंकने जैसी गतिविधियां ठीक से नहीं कर पाता तो यह उसके गणितीय कौशल में कमजोरी की निशानी हो सकती है। एक नए अध्ययन के अनुसार, दो साल की उम्र में जो बच्चे कोई छोटा-मोटा सामान पकड़ने या उठाने जैसी गतिविधियां ठीक से नहीं कर पाते उनका गणितीय कौशल भी कमजोर हो सकता है।
स्टेवांगर यूनिवर्सिटी के नार्वेजियन रीडिंग सेंटर के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर एलिन रेइकेरस ने अपने अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि दो साल के बच्चों के पेशी कौशल (मोटर स्किल) और गणितीय कौशल के बीच रिश्ता होता है। पेशी कौशल किसी खास कार्य के लिए शरीर की मांसपेशियों की होने वाली सटीक गतिविधि को कहते हैं। सेंटर दो से 10 साल के करीब एक हजार बच्चों के विकास की निगरानी कर रहा है। ये बच्चे स्टेवांगर के किंडरगार्टेनों और स्कूलों में पढ़ते हैं। गौरतलब है कि नॉर्वे में अधिकतर बच्चे एक साल की उम्र से किंडरगार्टेन भेज दिए जाते हैं।
शोधकर्ताओं ने इन बच्चों की गतिविधियों पर गौर किया जिनमें कपड़े पहनने, टुकड़े जोड़ने या सही क्रम में लगाने, चम्मच से खाने, कैंची का इस्तेमाल करने या बिना किसी चीज से टकराए कमरे में टहलने, गेंद को फेंकने या फेंकी गई गेंद को पकड़ने जैसी गतिविधियां शामिल थीं। उन्होंने बच्चों को उनके कौशल के स्तर के हिसाब से तीन समूहों मे बांटा। ये स्तर थे, कमजोर, औसत और मजबूत। इसके बाइ इन बच्चों के गणितीय कौशल का परीक्षण किया गया। इसके तहत इसकी जांच की गई कि उम्र पूछने पर बच्चे उंगली दिखाकर सही जवाब दे पाते हैं या नहीं।
स्टेवांगर यूनिवर्सिटी के नार्वेजियन रीडिंग सेंटर के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर एलिन रेइकेरस ने अपने अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि दो साल के बच्चों के पेशी कौशल (मोटर स्किल) और गणितीय कौशल के बीच रिश्ता होता है। पेशी कौशल किसी खास कार्य के लिए शरीर की मांसपेशियों की होने वाली सटीक गतिविधि को कहते हैं। सेंटर दो से 10 साल के करीब एक हजार बच्चों के विकास की निगरानी कर रहा है। ये बच्चे स्टेवांगर के किंडरगार्टेनों और स्कूलों में पढ़ते हैं। गौरतलब है कि नॉर्वे में अधिकतर बच्चे एक साल की उम्र से किंडरगार्टेन भेज दिए जाते हैं।
शोधकर्ताओं ने इन बच्चों की गतिविधियों पर गौर किया जिनमें कपड़े पहनने, टुकड़े जोड़ने या सही क्रम में लगाने, चम्मच से खाने, कैंची का इस्तेमाल करने या बिना किसी चीज से टकराए कमरे में टहलने, गेंद को फेंकने या फेंकी गई गेंद को पकड़ने जैसी गतिविधियां शामिल थीं। उन्होंने बच्चों को उनके कौशल के स्तर के हिसाब से तीन समूहों मे बांटा। ये स्तर थे, कमजोर, औसत और मजबूत। इसके बाइ इन बच्चों के गणितीय कौशल का परीक्षण किया गया। इसके तहत इसकी जांच की गई कि उम्र पूछने पर बच्चे उंगली दिखाकर सही जवाब दे पाते हैं या नहीं।